आश्विन शुक्ल प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
तिथि और समय
आश्विन शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 26 अक्टूबर को सुबह 9:44 बजे से शुरू होगी और 27 अक्टूबर को सुबह 6:56 बजे समाप्त होगी। प्रदोष काल शाम 5:41 बजे से रात 8:15 बजे तक होगा।
शुभ मुहूर्त
प्रदोष काल में शिव पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:41 बजे से रात 8:15 बजे तक होगा। इसके अलावा, सुबह 4:56 बजे से 5:44 बजे तक ब्रह्म मुहूर्त और सुबह 11:48 बजे से 12:33 बजे तक अभिजीत मुहूर्त भी प्रदोष व्रत के लिए शुभ है।
पूजा विधि
इस दिन भोलेनाथ के साथ माता पार्वती और भगवान गणेश जी की पूजा भी करें।
पूजा विधि
इस बार यह प्रदोष गुरुवारे के दिन है जो भगवान विष्ण जी की आराधना का भी दिन है इसीलिए भगवान विष्णु जी की आराधना भी जरूर करनी चाहिए ।
उपाय
प्रदोष व्रत में प्रदोष काल के समय 1 काली मिर्च भगवान शंकर जी को अर्पित करे और 1 कालीमिर्च शिव मंदिर की चौखट पर रखकर श्री शिवाय नमस्तुभयं मंत्र का जाप करे।
प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने का एक सरल और प्रभावी उपाय है। इस दिन व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।