Ekalingeshwar Mahadev Temple: एक ऐसा रहस्यमय मंदिर जिसका दरवाज़ा सिर्फ और सिर्फ महाशिवरात्रि पर खुलता है और उससे पहले आप इस मंदिर के दर्शन नहीं कर सकते चलिए जानते है इस मंदिर से जुड़े कुछ खास रहस्य तो चलिए दोस्तों शुरू करते है रहस्यमयी मंदिरों की जानकारी.

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Ekalingeshwar Mahadev Temple

दोस्तों भारत में Kashmir से लेकर Kanyakumari तक कई सारे Shiva मंदिर है जिनके दर्शन करने वाले हर साल लाखों की तादाद में भक्त पहुँचते है भारत में कई Shiva मंदिर ऐसे भी है जहाँ तक पहुँचने के लिए भक्तों को काफी दुर्गम यात्रा भी करनी पड़ती है Amarnath, Kedarnath, Badrinath आज हम आपको भगवान Shiva के ऐसे रहस्यमय मंदिरों के बारे में बताएँगे जहाँ मत्था टेकने के लिए पूरे साल भर का इंतज़ार करना पड़ता है एक मंदिर जो साल में सिर्फ एक बार खुलता है

Ekalingeshwar Mahadev Temple

दोस्तों हम बात कर रहे है Jaipur में स्थित एक Ekalingeshwar Mahadev मंदिर की जी हाँ एक Ekalingeshwar Mahadev मंदिर जो साल में सिर्फ और सिर्फ शिवरात्रि के दिन ही खुलता है इसे Shankargarhi मंदिर के नाम से भी जाना जाता है क्या है इसके पीछे का रहस्य चलिए जानते है

Jaipur में मोती डूंगरी Shankargarh की पहाड़ी पर स्थित एक Eklingeji और Chandni Chowk के Rajrajeshwar ऐसे दो मंदिर है जो वर्ष में सिर्फ एक बार खुलते है महाशिवरात्रि के अवसर पर ही यहाँ श्रद्धालुओं को भगवान के दर्शन होते है यही कारण है कि यहाँ सुबह से भक्तों का तांता लगना शुरू हो जाता है

Jaipur का यह मंदिर Birla मंदिर के पीछे मोती डूंगरी के पास Shiv डूंगरी पर स्थित है इस मंदिर के पुजारी ने बताया कि इसकी स्थापना बहुत पुरानी है यह Jaipur की स्थापना से भी पहले बनाया गया था शिवरात्रि के दिन ही इसके पट आम भक्तों के लिए खुलते है

Ekalingeshwar Mahadev Temple

ये महादेव मंदिर Jaipur राज परिवार का निजी मंदिर है और इस मंदिर में खुद Jaipur के महाराजा और महारानियाँ पूजा अर्चना करने आते थे खुद Jaipur की राजमाता Gayatri देवी तक कई बार यहाँ महादेव की पूजा करने तक पहुँची है आम जन को साल भर शिवरात्रि का ही इंतज़ार करना पड़ता है

जब मंदिर के पट खुलते है तो उन्हें एक लिंगी जी के दर्शन होते है इस मंदिर में Shiva भगवान के साथ साथ माता Parvati और उनके पुत्र Ganesh जी की स्थापना की गयी थी लेकिन कुछ समय बाद वह मूर्तियाँ अपने आप ही गायब हो गयी इसके पीछे का रहस्य कोई नहीं जानता लेकिन फिर से मूर्तियों की स्थापना की गयी जो एक बार फिर से विचित्र तरीके से विलुप्त हो गयी ये कहाँ गायब हो गयी कैसे रातों रात आखिर ये गायब हो गयी इसके बारे में किसी को नहीं पता जिसके बाद किसी ने भी दोबारा मंदिर में भगवान Shankar के अलावा किसी भी मूर्ति की करने का साहस नहीं किया.

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सावन के महीने में या किसी बड़े पारिवारिक कार्यक्रम में राज परिवार के सदस्य यहाँ पूजा पाठ करने पहुँचते है और इस मंदिर में जितने भी खर्च होता है वो शाही परिवार द्वारा वहन किया जाता है

यह मंदिर साल में एक बार खुलता है इसीलिए शिवरात्रि के दिन ही इसके प्रति श्रद्धालुओं में विशेष आकर्षण होता है करीब एक kilometre की चढ़ाई चढ़कर आप कई घंटों तक line में खड़े होंगे तब जाकर ही आपको भगवान Shiva के हो पाएँगे और जब भगवान Shiva के दर्शन होंगे तो वो दर्शन आप हमेशा ज़िंदगी भर याद रखेंगे तो दोस्तों कभी भविष्य में आपको इस मंदिर में जाने का अवसर मिले तो इस अवसर को चूकिएगा मत.

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