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दोस्तों, आप सभी को शारदीय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएं। दोस्तों, आज हम बात करेंगे चौथे नवरात्रि व्रत के शुभ मुहूर्त, माँ कुष्मांडा पूजा विधि, रंग, भोग, मंत्र, व्रत कथा और साथ ही जानेंगे माँ कुष्मांडा को प्रसन्न करने के लिए कपूर से किए जाने वाले एक इच्छा पूर्ति महाउपाय के बारे में।
दोस्तों, शारदीय नवरात्रिका चौथा नवरात्रि व्रत 18 Oct. बुधवार को रखा जाएगा। शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे रूप देवी कुष्मांडा की पूजा आराधना की जाती है। कहते हैं कि मांने अपनी मंद-मंद मुस्कान से समुच्चय ब्रह्मांड की रचना की। इसलिए इन्हें कुष्मांडा कहा गया।
दोस्तों, ज्योतिष अनुसार इस दिन आश्विन मास की चतुर्थी को व्रत भी है जिससे इस दिन की जाने वाली पूजा का फल कई गुना अधिक बढ़ जाएगा। आइए जानलेते हैं देवी कुष्मांडा के प्रिय भोग, फूल, शुभ रंग कौन से हैं?
देवी कुष्मांडा भोग, फूल, शुभ रंग
दोस्तों, दुर्गा के चौथे रूप को अष्टभुजादेवी भी कहा जाता है। इनके हाथों में धनुष, बाण, चक्र, गदा, अमृत, कलश, कमल और कमंडल सुशोभित हैं। कहा जाता है कि इस संसार की रचना से पहले जब चारों ओर अँधेरा छाया था तब देवी के इसी रूप से ब्रह्मांड का सृजन हुआ था।
दोस्तों, माँ कुष्मांडा का मतलब है कुम्हाड़ा वह फल जिससे पेठ बनता है। आज के दिन कुम्हाड़ अर्पित करने से देवी कुष्मांडा बेहद प्रसन्न होती हैं। माता के इस रूप को हरा या पीला रंग बहुत प्रिय है मां के प्रिय फुल पीला गेंदा पीला कमाल है आज के दिन मां को मालपुआ का भोग लगाना चाहिए।
नवरात्रि चौथा दिन शुभ मुहूर्त
दोस्तों चौथ नवरात्रि व्रत 18 अक्टूबर दिन बुधवार को रखा जाएगा चतुर्थी तिथि शुरू होगी 18 अक्टूबर की सुबह 1:26 पर चतुर्थी तिथि समाप्त होगी 19 अक्टूबर की सुबह 1:12 पर दोस्तों का मुहूर्त होगा सुबह 10:58 से 1:15 तक अमृत काल मुहूर्त होगा सुबह 10:24 से 12:01 तक ब्रह्म मुहूर्त होगा सुबह 4:52 से सुबह 5:40 तक।
नवरात्रि चौथा दिन शुभ मुहूर्त टेबल |
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चौथा नवरात्रि व्रत 18 अक्टूबर दिन बुधवार |
चतुर्थी तिथि शुरू |
18 अक्टूबर सबह 01: 26 मिनट |
चतुर्थी तिथि समाप्त |
19 अक्टूबर सुबह 01:12 मिनट |
सुबह पूजा मुहूर्त |
सुबह 10:58 मिनट से 01 : 15 मिनट |
अमृत काल मुहूर्त |
सुबह 10:24 मिनट से 12:01 मिनट |
ब्रह्म मुहूर्त |
सुबह 04:52 मिनट से सुबह 05:40 मिनट |
चौथा नवरात्रि शुभ योग
नवरात्रि के चौथे दिन आश्विन वरद चतुर्थी तुला संक्रांति, आयुष्मान और सौभाग्य योग का संयोग बनेगा जो पूजा-पाठ के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है।
आयुष्मान योग प्रारंभ
17 अक्टूबर सुबह से 9:21 से 18 अक्टूबर सुबह 8:18
संयोग योग प्रारंभ
18 अक्टूबर सुबह 8:18 से 19 अक्टूबर सुबह 6:54
चौथा नवरात्रि पूजा विधि
नवरात्रि के चौथे दिन देवी कुष्मांडा की पूजा के लिए सुबह स्नान के बाद स्वच्छ होकर मां की पसंदीदा हरे या पीले रंग की वस्त्र धारण करें। मान्यता है, की कुष्मांडा स्वरूप की विजिबल पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं दोस्तों पूजा स्थल को गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें। और पूजा से पहले गणेश जी व समस्त देवी देवताओं का आवाहन करें और माता कुष्मांडा का ध्यान करते हुए मां को पीले रंग के फूल, सिंदूर, धूप, दीप, अक्षत हरी इलायची और हरी सॉफ अर्पित करें।
इसके बाद मां कुष्मांडा के मंत्र “ॐ देवी कूष्माण्डायै नम:” मंत्र का 108 बार जाप करें। इस दिन वरद विनायक चतुर्थी व्रत भी होगा इसलिए गणेश जी की पूजा भी जरूर करें पूजा में गणेश जी को 21 दूर्वा अवश्य अर्पित करें ताकि आपको मां दुर्गा के साथ गणेश जी के आशीर्वाद से सुख समृद्धि प्राप्त हो सके। अंत में माता रानी को आज के दिन मालपुआ का भोग अर्पण करें। मान्यता हैं की आज के दिन देवी कुष्मांडा को मालपुआ का भोग जो कोई भक्त लगता है तो मां उसके सभी दुख और परेशानियों का अंत कर सुख समृद्धि प्रदान करती है।
माँ कुष्मांडा को प्रसन्न करने का खास उपाय
नवरात्रि के चौथे दिन माँ कुष्मांडा की उपासना के समय को कुम्हाड़ा यानी कि कद्दू या पेठा भोग लगाने से मन प्रसन्न होती है आज के दिन विशेष उपाय के रूप में मां कुष्मांडा को गुलाब के फूल में कपूर रखकर अर्पित करें और फिर माता महालक्ष्मी के मंत्र “ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नमः” का एक माला जप करें। शाम के समय फूल में से कपूर निकालकर कपूर को प्रज्वलित कर दे और फूल देवी मां को चढ़ा दे। यह उपाय विशेष इच्छा पूर्ति के लिए बहुत ही लाभकारी माना जाता है।
चौथा नवरात्रि व्रत कथा
पौराणिक कथा अनुसार जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब देवी कुष्मांडा ने ही ब्रह्मांड की रचना की थी । ये ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं। ये सर्यमंडल में निवास करती है। इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान हैं। मां कूष्माण्डा अत्यल्प सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं। इनका वाहन सिंह है। मां कूष्मांडा के सात हाथों में चक्र, गदा, धनुष, कमण्डल, अमृत से भरा हुआ कलश, बाण और कमल का फूल है तथा आठवें हाथ में जपमाला है जो सभी प्रकार की सिदिधयों से युक्त है। इस दिन माँ कूष्माण्डा की उपासना से आय, यश, बल, और आरोग्य की प्राप्ति होती है.
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