माँ लक्ष्मी चालीसा (Laxmi Chalisa) हिंदू धर्म में देवी लक्ष्मी की स्तुति के लिए एक प्रसिद्ध 40 श्लोकों से मिलकर बनी कविता है। यह चालीसा देवी लक्ष्मी की सभी शक्तियों और गुणों का विवरण करती है।
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माँ लक्ष्मी चालीसा की रचना
माँ लक्ष्मी चालीसा (Laxmi Chalisa) की रचना संत तुलसीदास जी ने 16वीं शताब्दी में की थी। यह चालीसा माँ लक्ष्मी की महिमा और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना करती है।
माँ लक्ष्मी चालीसा का महत्व
माँ लक्ष्मी चालीसा का महत्व है कि यह चालीसा भक्तों को देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और उन्हें धन, समृद्धि, और सौभाग्य की प्राप्ति में मदद करती है। यह पाठ करने से भक्तों के जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि आती हैं।
Laxmi Chalisa Lyrics in Hindi
|| दोहा ||
मातु लक्ष्मी करि कृपा करो हृदय में वास।
मनोकामना सिद्ध कर पुरवहु मेरी आस॥
॥ सोरठा॥
यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं।
सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥
॥ चौपाई ॥
सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही। ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही॥
॥ श्री लक्ष्मी चालीसा ॥
तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरवहु आस हमारी॥
जय जय जगत जननि जगदंबा सबकी तुम ही हो अवलंबा॥
तुम ही हो सब घट घट वासी। विनती यही हमारी खासी॥
जगजननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी॥
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥
कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी। जगजननी विनती सुन मोरी॥
ज्ञान बुद्घि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥
क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिन्धु में पायो॥
चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभु बनि दासी॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रुप बदल तहं सेवा कीन्हा॥
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥
तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥
अपनाया तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥
तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी। कहं लौ महिमा कहौं बखानी॥
मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन इच्छित वांछित फल पाई॥
तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मनलाई॥
और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करै मन लाई॥
ताको कोई कष्ट नोई। मन इच्छित पावै फल सोई॥
त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणी॥
जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै। ध्यान लगाकर सुनै सुनावै॥
ताकौ कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै॥
पुत्रहीन अरु संपति हीना। अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना॥
विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै॥
पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै॥
बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥
प्रतिदिन पाठ करै मन माही। उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं॥
बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥
करि विश्वास करै व्रत नेमा। होय सिद्घ उपजै उर प्रेमा॥
जय जय जय लक्ष्मी भवानी। सब में व्यापित हो गुण खानी॥
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजै॥
भूल चूक करि क्षमा हमारी। दर्शन दजै दशा निहारी॥
बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी। तुमहि अछत दुःख सहते भारी॥
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्घि है तन में। सब जानत हो अपने मन में॥
रुप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण॥
केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्घि मोहि नहिं अधिकाई॥
॥ दोहा॥
त्राहि त्राहि दुख हारिणी, हरो वेगि सब त्रास। जयति जयति जय लक्ष्मी, करो शत्रु को नाश॥
रामदास धरि ध्यान नित, विनय करत कर जोर। मातु लक्ष्मी दास पर, करहु दया की कोर॥
Shree Maa Laxmi Chalisa Video
माता लक्ष्मी का मूल मंत्र क्या है?
माता लक्ष्मी का मूल मंत्र है:
“ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः।“
माता लक्ष्मी मंत्र कैसे बोले?
माता लक्ष्मी मंत्र का उच्चारण करने के लिए, सबसे पहले ध्यान से बैठें और अपने मन को शांत करें। फिर मन्त्र को शुद्ध और स्पष्ट ध्वनि में में उच्चारण करें: “ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः।” मंत्र को धीरे-धीरे और ध्यान से बोलते समय, माता लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र का आकार मन में विचार करें। यह मंत्र माता लक्ष्मी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में सहायक होता है और धन, संपत्ति, और समृद्धि की प्राप्ति में मदद करता है।
माता लक्ष्मी मंत्र का जाप कितनी बार करना चाहिए?
माता लक्ष्मी मंत्र का जाप आमतौर पर 108 बार किया जाता है।