Paush Purnima 2024: नमस्कार दोस्तों आज हम बात करेंगे साल 2024 पौश पूर्णिमा का व्रत कब है? स्नान दान की पूर्णिमा कब होगी? पूर्णिमा पूजा का शुभ मुहूर्त पूजा विधि और साथ ही जानेंगे इस दिन मनोकामना पूर्ति के लिए किए जाने वाले एक महा उपाय के बारे में।
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शास्त्रों में पौष माह की पूर्णिमा का विशेष महत्व है। पौष पूर्णिमा के दिन शाकंभरी जयंती भी मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु माँ लक्ष्मी की आराधना और सत्यनारायण भगवान की व्रत कथा का पाठ या श्रवण करने से व्यक्ति को सौ यज्ञों के सामान पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन स्नान दान और सूर्य आराधना करने पर अमोघ फल व मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइये जानते है इस साल 2024 पौष पूर्णिमा का व्रत कब है, स्नान दान की पूर्णिमा कब होगी पूर्णिमा पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि व उपाय क्या है.
पौष पूर्णिमा 2024 | Paush Purnima 2024
![Paush Purnima 2024: पौष पूर्णिमा कब है 2024? जानिए शुभ मुहूर्त और विधि, महा उपाय](http://chalisayug.com/wp-content/uploads/2024/01/Paush-Purnima-2024-1024x576.jpg)
25 जनवरी 2024 को साल की पहली पूर्णिमा होगी और यही दिन प्रयागराज में माघ मेले के दूसरे स्नान का भी होगा.
पौष पूर्णिमा शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि 24 जनवरी को रात 09:49 मिनट से 25 जनवरी 2024 को रात 11:23 मिनट तक रहेगी।
स्नान-दान मुहूर्त – सुबह 05.26 मिनट से सुबह 06.20 मिनट
सत्यानारायण पूजा का समय – सुबह 11:13 मिनट से सुबह 12:33 मिनट
चंद्रोदय समय – शाम 05:29 मिनट
लक्ष्मी पूजा निष्काल मुहूर्त – रात्रि 12:07 मिनट देर रात 01:00 बजे
पौष पूर्णिमा पूजा विधि
पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी या जलाशय में स्नान का विशेष महत्व है। यदि आप स्नान के लिए नदी पर नहीं जा सकते हैं तो पूर्णिमा के दिन घर पर ही ब्रह्ममुहूर्त में गंगाजल मिले जल से स्नान करें।
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स्नान के बाद व्रत का संकल्प ले और सूर्य देव को लाल पुष्प डालकर जल का अर्घ्य दे. फिर भगवान विष्णु जी की विधि – विधान से पूजा करें. स्नान के बाद किसी ब्राह्मण यो जरूरतमंद को अन्न, गरम कपड़े, शक्कर, घी. गुड़ आदि का दान करें। अगर आपकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर है तो सफ़ेद चीजों का दान करें।
दिनभर पर्णिमा का उपवास करे संध्याकाळ में भगवान् विष्णु माँ लक्ष्मी की प्रतिमा को तिलक कर धूप दीप के बाद पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, फल, फूल, पंचगव्य, सुपारी, दूर्वा आदि अर्पित करें। इसके बाद भोग स्वरूप चरणामृत, तुलसी दल या तुलसी पत्र डली खीर अर्पित करे. फिर सत्य नारायण व्रत कथा पढ़े या श्रवण करें। अंत में श्री हरी जी की आरती कर उनके मंत्रो का जाप करे, रात को चंद्रोदय के बाद चन्द्रमा को धूप-दीप व अर्घ्य देकर व्रत का समापन करे.
पौष पूर्णिमा उपाय
पौष पूर्णिमा के दिन पानी में गंगाजल मिलाकर कुश हाथ में लेकर स्नान करना चाहिए। पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष पर मां लक्ष्मी का आगमन होता हैं इसीलिए पूर्णिमा की सुबह स्नान के बाद पीपल के पेड़ में मीठा जल अर्पित करें। के दिन चावल का मात्र 1 साबूत दाना और 1 बेलपत्र लेकर नमः शिवाय और श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग पर अर्पित कर दे ध्यान रखे बेलपत्र की डंडी का मुँह आपकी ओर होना चाहिए. यह उपाय मनोकमना पूर्ण करता है.