आज हम बात करेंगे 2023 में पापाकुंशा Ekadashi कब है? पूजा के शुभ और अशुभ मुहूर्त पारण का समय विधि मंत्र। व्रत कथा और साथ ही जानेंगे सफेद चन्दन से किए जाने वाले एक इच्छापूर्ति महा उपाय के बारे में।
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पापांकुशा एकादशी 2023 (Ekadashi 2023)
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि जो भी मनुष्य इस दिन एकादशी का व्रत करता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है पापाकुंशा एकादशी पर भगवान पद्मनाभ की विधिवत पूजा-अर्चना और मौन रहकर भगवद स्मरण करने की परंपरा है अगर इस दिन पर आप भगवान पद्मनाभ की सच्चे मन से पूजा- अर्चना करते है तो आपका मन शुद्ध होकर सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
एकादशी शुभ मुहूर्त
पापांकुशा एकादशी व्रत तिथि
25 अक्टूबर बुधवार
एकादशी तिथि प्रारम्भ
24, अक्टूबर को शाम 03:14 मिनट
एकादशी तिथि समाप्त
25, अक्टूबर को दोपहर 12:32 मिनट
एकादशी पारण होगा
26 अक्टबर प्रातःकाल 06:28 मिनट से लेकर प्रातः 08:43 मिनट
पजा का मुहूर्त
सुबह 06:53 मिनट से सुबह 08:21 मिनट
एकादशी अशुभ काल मुहूर्त
राहू काल
दोपहर 12:10 मिनटे से दोपहर 1:35 मिनट
कुलिक काल
सुबह 10:46 मिनट से दोपहर 12:10 मिनट
दुर्मुहूर्त
सुबह 11:48 मिनट से दोपहर 12:33 मिनट
वर्ज्यम्
शाम 07:21 मिनट से रात 08:49 मिनट
एकादशी पूजा विधि
एकादशी के दिन प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें. पूजास्थल में कलश और भगवान विष्ण जी की प्रतिमा स्थापित करे. विष्णु जी की प्रतिमा के सामने एक दीपक और उन्हें फल फूल, नारियल और नैवेद्य अर्पित करें। इसके बाद विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ व “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करे, व्रत कथा और आरती करे। एक खास बात का ध्यान आपको रखना है की विष्णु पूnजा के समय तुलसी दल अवश्य रखें। हो सके तो रात में जागरण कर भगवान का भजन- कीर्तन करें। अगले दिन द्वादशी तिथि को ब्राह्मणों को भोजन कराकर उन्हें दान दक्षिणा देकर विदा करें।
एकादशी उपाय
धार्मिक मान्यता अनुसार इस एकादशी व्रत के प्रभाव से मन शुद्ध होता है इस दिन भगवान पद्मनाभ की पूजा करे. पापांकुशा एकादशी के दिन अगर आप प्रातः काल और सायं काल में श्री हरि के पद्मनाभ स्वरुप का पूजा कर उनके मस्तक पर सफ़ेद चन्दन लगाकर उनके सामने शुद्ध घी का 1 दीपक जलाते है और 1 दीपक तुलसी के पौधे के समीप जलाकर रख देते है तो इस उपाय के द्वारा आपको सभी प्रकार की सुख समृदिध, सफलता प्राप्त होकर मोक्ष की प्राप्ति होती है और आपके सभी पाप नष्ट हो जाते है।
एकादशी नियम
एकादशी व्रत में द्वादशी की सुबह एकादशी पारण के बाद ही अन्न ग्रहण करना चाहिए. एकादशी के दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को क्रोध और पाप कर्म नहीं करना चाहिए. एकादशी व्रत वाले दिन अधिक से अधिक मौन रहते हुए भगवान श्री विष्णु के मंत्रों का जप करना चाहिए. इस दिन चावलों का सेवन ना करे. एकादशी के दिन तुलसी को जल नहीं देना चाहिए. भगवान विष्णु को पूजा में चढ़ाने के लिए एक दिन पहले ही तुलसी तोड़ लेनी चाहिए।
व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार विध्यांचल नामक पर्वत पर क्रोधना नाम का व्यक्ति रहता था. उसने अपने पूरे जीवन में बुरे कर्म ही किए, जब उसका अंतिम समय निकट आया तो यमराज ने अपने एक दूत को उसे लेने के लिए भेजा वह अपने इसी भय के कारण अंगीरा नाम के ऋषि के पास सहायता हेतु याचना करने गया।
उसके आग्रह से ऋषि अंगीरा ने उसे पापांकुशा एकादशी के विषय में बताते हुए कहा की यदि तुम अश्विन मास की शुक्ल पक्ष एकादशी का व्रत करो तो तुम्हे मोक्ष की प्राप्ति होगी और कोई भय नहीं रहेगा. क्रोधना ने सच्ची निष्ठा, लगन और भक्ति भाव से पापांकुशा एकादशी का व्रत रखा और श्री हरि विष्णु की आराधना की इस व्रत के प्रभाव से उसके सभी संचित पाप नष्ट हो गए तथा उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई ।
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