पितरों के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करने के लिए और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पितृ चालीसा (Pitra Chalisa) का पाठ किया जाता है। यह चालीसा चालीस कुछ दिनों तक पढ़ी जाती है, और यह माना जाता है कि इस दौरान किए गए पुण्य कर्म पितरों तक पहुंचते हैं और उन्हें मोक्ष प्राप्त करने में मदद मिलती है।

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पितृ चालीसा (Pitra Chalisa) में पितरों को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न मंत्रों और स्तोत्रों का समावेश होता है। इसमें पितरों के विभिन्न नामों और उनके गुणों का भी वर्णन होता है। पितृ चालीसा (Pitra Chalisa) का पाठ करने से पितरों को संतुष्टि मिलती है और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।

श्री पितर चालीसा | Pitra Chalisa in Hindi

।। दोहा ।।

हे पितरेश्वर आपको दे दियो आशीर्वाद,
चरणाशीश नवा दियो रखदो सिर पर हाथ।
सबसे पहले गणपत पाछे घर का देव मनावा जी,
हे पितरेश्वर दया राखियो करियो मन की चाया जी॥

हे हमारे पितर देव!! आप हमें अपना आशीर्वाद दे दीजिये। हम आपके चरणों में अपना सिर झुकाते हैं और आप हमारे सिर पर दया का हाथ रख दीजिये। सबसे पहले हम शिव पुत्र भगवान गणेश की पूजा करते हैं, तत्पश्चात हम अपने घर के देवता पितृ देव की पूजा करते हैं। हे पितृ देव!! आप हम पर हमेशा अपनी कृपा दृष्टि बनाये रखें और हमारे मन को संतुलित रखिये।

।। चौपाई ।।

पितरेश्वर करो मार्ग उजागर, चरण रज की मुक्ति सागर॥
परम उपकार पित्तरेश्वर कीन्हा, मनुष्य योणि में जन्म दीन्हा॥


मातृ-पितृ देव मनजो भावे, सोई अमित जीवन फल पावे॥
जै-जै-जै पित्तर जी साईं, पितृ ऋण बिन मुक्ति नाहिं॥

हे पितर देव!! आप हमें आगे का रास्ता दिखाइए, हमें मुक्ति प्रदान कीजिये। आपने हम सभी पर बहुत ही उपकार किया हुआ है जो आपने हमें मनुष्य योनि में जन्म दिया। जिस किसी के भी मातृ व पितृ देव उनसे प्रसन्न होते हैं, उन्हें कभी भी किसी चीज़ की कोई कमी नहीं होती है। हे पितृ देव!! आपकी जय हो, जय हो, जय हो। आपका ऋण उतारे बिना हमारी मुक्ति नही हो सकती है।

चारों ओर प्रताप तुम्हारा, संकट में तेरा ही सहारा॥
नारायण आधार सृष्टि का, पित्तर जी अंश उसी दृष्टि का॥


प्रथम पूजन प्रभु आज्ञा सुनाते, भाग्य द्वार आप ही खुलवाते॥
झुंझुनू में दरबार है साजे, सब देवों संग आप विराजे॥

आपका यश तो हर दिशा में फैला हुआ है और हमारे संकट आप ही दूर करते हैं। इस सृष्टि के आधार स्वयं नारायण देव हैं और इसी सृष्टि के आप एक अंश हैं अर्थात हमें रास्ता दिखाते हैं। ईश्वर की पूजा करने पर वे हमें आदेश देते हैं और हमारा भाग्य आपके ही हाथों में है। झुंझुनू जिले में आपका दरबार सजा हुआ है और आप वहां पर देवताओं के संग विराजते हैं।

प्रसन्न होय मनवांछित फल दीन्हा, कुपित होय बुद्धि हर लीन्हा॥
पित्तर महिमा सबसे न्यारी, जिसका गुणगावे नर नारी॥


तीन मण्ड में आप बिराजे, बसु रुद्र आदित्य में साजे॥
नाथ सकल संपदा तुम्हारी, मैं सेवक समेत सुत नारी॥

जब पितर देव हमसे प्रसन्न हो जाते हैं तब वे हमारी हर इच्छा को पूरी करते हैं किन्तु जब वे हमसे निराश होते हैं तब वे हमारी बुद्धि का नाश कर देते हैं। पितरों की महिमा सबसे अलग है जिसका गुणगान हर कोई करता है। तीन मंडलों में आप ही विराजमान हैं। आप शिव में बसते हैं और सूर्य में शोभायमान हैं। हमारी सब संपत्ति आपकी ही दी हुई है और मैं अपने परिवार सहित आपका सेवक हूँ।

छप्पन भोग नहीं हैं भाते, शुद्ध जल से ही तृप्त हो जाते॥
तुम्हारे भजन परम हितकारी, छोटे बड़े सभी अधिकारी॥


भानु उदय संग आप पुजावै, पांच अँजुलि जल रिझावे॥
ध्वज पताका मण्ड पे है साजे, अखण्ड ज्योति में आप विराजे॥

पितरों को छप्पन भोग नहीं चाहिए क्योंकि वे तो बस शुद्ध जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं। आपके भजन सभी को सुख देने वाले हैं, फिर चाहे वह छोटे पितर हो या बड़े, सभी एक समान ही पूजनीय होते हैं। सूर्योदय होने के साथ ही आपकी पूजा करनी चाहिए और पांच उँगलियों से आपको जल चढ़ाना चाहिए। आपके मंडल में ध्वज पताका लगी हुई है और अखंड ज्योति जल रही है।

सदियों पुरानी ज्योति तुम्हारी, धन्य हुई जन्म भूमि हमारी॥


शहीद हमारे यहाँ पुजाते, मातृ भक्ति संदेश सुनाते॥
जगत पित्तरो सिद्धान्त हमारा, धर्म जाति का नहीं है नारा॥


हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, सब पूजे पित्तर भाई॥

आपकी महिमा तो सदियों पुरानी है और इससे हमारी जन्मभूमि धन्य हो गयी है। जो कोई भी यहाँ शहीद होता है, उससे हमें मातृ भक्ति का संदेश मिलता है। पित्तरों की पूजा करने में धर्म या जाति आड़े नहीं आती है तथा सभी धर्म व जाति को मानने वाले लोग अपने-अपने पित्तरों की पूजा करते हैं।

हिन्दू वंश वृक्ष है हमारा, जान से ज्यादा हमको प्यारा॥


गंगा ये मरुप्रदेश की, पितृ तर्पण अनिवार्य परिवेश की॥
बन्धु छोड़ना इनके चरणाँ, इन्हीं की कृपा से मिले प्रभु शरणा॥


चौदस को जागरण करवाते, अमावस को हम धोक लगाते॥

हम सभी ने हिन्दू धर्म में जन्म लिया है जो हमें हमारे जीवन से भी अधिक प्रिय है। इस देश में माँ गंगा बहती है और वहीं पर पितरों को तर्पण किया जाता है। पितरों के आशीर्वाद से ही हमें प्रभु की शरण मिलती है। हम सभी चौदस को आपके नाम का जागरण करवाते हैं और अमावस्या के दिन आपकी धोक लगाते हैं।

जात जडूला सभी मनाते, नान्दीमुख श्राद्ध सभी करवाते॥


धन्य जन्म भूमि का वो फूल है, जिसे पितृ मण्डल की मिली धूल है॥
श्री पित्तर जी भक्त हितकारी, सुन लीजे प्रभु अरज हमारी॥


निशदिन ध्यान धरे जो कोई, ता सम भक्त और नहीं कोई॥

श्राद्ध पक्ष के समय में सभी अपने-अपने घर पर पितरों की पूजा करते हैं। जिस भी घर में पितरों का वास होता है, वहां सब कुछ मंगल होता है। हे पितर देव! अब आप हमारी प्रार्थना सुन लीजिये। जो कोई भी आपका प्रतिदिन ध्यान करता है, उसके जैसा कोई और भक्त नहीं है।

तुम अनाथ के नाथ सहाई, दीनन के हो तुम सदा सहाई॥


चारिक वेद प्रभु के साखी, तुम भक्तन की लज्जा राखी॥
नाम तुम्हारो लेत जो कोई, ता सम धन्य और नहीं कोई॥


जो तुम्हारे नित पाँव पलोटत, नवों सिद्धि चरणा में लोटत॥

आप तो अनाथ लोगों को भी सहारा देते हो और दीन-बंधुओं पर अपनी कृपा दृष्टि रखते हो। ईश्वर ने चार वेदों की रचना की है और आपने अपने भक्तों के मान-सम्मान की रक्षा की है। जो कोई भी पित्तरों का नाम लेता है, उसके जैसा धन्य व्यक्ति कोई और नहीं है। जो पितरों के चरणों में अपना सिर झुकाता है, उसे नौ की नौ सिद्धियाँ प्राप्त होती है।

सिद्धि तुम्हारी सब मंगलकारी, जो तुम पे जावे बलिहारी॥


जो तुम्हारे चरणा चित्त लावे, ताकी मुक्ति अवसी हो जावे॥
सत्य भजन तुम्हारो जो गावे, सो निश्चय चारों फल पावे॥


तुमहिं देव कुलदेव हमारे, तुम्हीं गुरुदेव प्राण से प्यारे॥

जो भी पितरों की पूजा करता है, उसका सब मंगल ही मंगल होता है। जो पितृ देव के चरणों का ध्यान करता है, उसकी जल्दी मुक्ति होती है। जो पितर देव का भजन करता है, उसे चारों तरह के फल की प्राप्ति होती है। हे पितर देव!! आप ही हमारे कुल देवता हो, आप ही हमारे देवता हो, आप ही हमारे गुरुदेव हो और आप हम सभी को अपने प्राणों से भी अधिक प्यारे हो।

सत्य आस मन में जो होई, मनवांछित फल पावें सोई॥


तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई, शेष सहस्र मुख सके न गाई॥
मैं अतिदीन मलीन दुखारी, करहु कौन विधि विनय तुम्हारी॥


अब पित्तर जी दया दीन पर कीजै, अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै॥

जो कोई भी सच्चे मन से पितरों से कुछ मांगता है, उसकी हर इच्छा पूरी होती है। पितरों का यश तो हर जगह व्याप्त है और हजारों मुहं भी उसका बखान नहीं कर सकते हैं। मैं तो मंदबुद्धि व दुखी मनुष्य हूँ, मैं किस विधि से आपकी पूजा करूँ। हे पितर देव!! अब आप मुझ पर दया कीजिये और अपनी भक्ति व शक्ति मुझे प्रदान कीजिये।

।। दोहा ।।

पित्तरों को स्थान दो, तीरथ और स्वयं ग्राम।
श्रद्धा सुमन चढ़ें वहां, पूरण हो सब काम।।

हम सभी को तीर्थों व अपने घर में पितरों को स्थान देना चाहिए। उनकी पूजा करनी चाहिए और सच्चे मन से उनका नाम लेना चाहिए। इससे हमारे सब रुके हुए काम बन जाते हैं।

झुंझुनू धाम विराजे हैं, पित्तर हमारे महान।
दर्शन से जीवन सफल हो, पूजे सकल जहान।।

झुंझुनू में हम सभी के पितर देव विराजते हैं। जो कोई भी उनके दर्शन कर लेता है, उसके सभी काम बन जाते हैं और उसका उद्धार हो जाता है।

जीवन सफल जो चाहिए, चले झुंझुनू धाम।
पित्तर चरण की धूल ले, हो जीवन सफल महान।।

जो भी झुंझुनू धाम जाकर पितरों की पूजा कर लेता है, उसका जीवन सफल हो जाता है। पितरों के चरणों की धूल ही मिल जाए या उनकी थोड़ी बहुत भी कृपा दृष्टि हो जाए तो हमारा जीवन सफल हो जाता है।

श्री पितृ चालीसा – Pitar Chalisa Video

AlbumPittar Chalisa
SongShree Pittra Chalisa
SingerTara Devi
MusicAmit Singh
LyricsTraditional
LabelAmbey Bhakti
Parent Label(Publisher)Shubham Audio Video Private Limited
Credit : Ambey Bhakti

Shri Pitra Chalisa PDF Summary

PDF TitlePitra Chalisa PDF
LanguageHindi
No. of Pages4
PDF Size1.44MB
PDF CategoryChalisa

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके आप Pitra Chalisa की पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं

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नमस्कार, मेरा नाम Krishna है, और मैं जयपुर, राजस्थान से हूँ। मैं B.A. की डिग्री है और मेरा शौक है धार्मिक गानों और पूजा-पाठ से जुड़े पोस्ट लिखने का। वेबसाइट पर चालीसा, भजन, आरती, व्रत, त्योहार, जयंती, और उत्स से जुड़े पोस्ट करते हैं। मेरा उद्देश्य धार्मिक ज्ञान को Shared करना और भगवान की भक्ति में लोगों की मदद करना है। धार्मिक संगीत और पूजा मेरे लिए खुशी और शांति का स्रोत हैं। और हमारे Social Media Platform पर हमसे जुड़ सकते हैं। धन्यवाद!

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