हिन्दू धर्म के अनुसार श्री हनुमान चालीसा को अत्यंत पवित्र माना जाता है। इसमें बजरंगबली से संबंधित अनेकों ऐसे वाक्य वर्णित हैं जिन्हें चमत्कारी माना जाता है। कहते हैं कि हनुमान चालीसा को अगर एक बार भी पढ़ा जाए तो उससे स्वयं हनुमान जी आकर्षित होते हैं और भेष बदल कर मिलने आते हैं। लेकिन अगर एक ही दिन में हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ किया जाए तो क्या होगा? क्या हनुमान जी स्वयं मिलने आएंगे? आइए जानते हैं।
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हनुमान चालीसा की रचना श्री राम और हनुमान जी के परम भक्त तुलसीदास जी ने की थी। तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा और रामचरितमानस समेत अनेकों भक्ति काव्य लिखे। कहते हैं कि तुलसीदास जी रोज़ हनुमान चालीसा का पाठ किया करते थे और एक दिन उनसे स्वयं हनुमान जी मिलने आए। हनुमान चालीसा में तुलसीदास जी ने ऐसे अनेकों वाक्य लिखे जो स्पष्ट रूप से हनुमान जी की छवि को दर्शाते हैं और उन्हें आकर्षित करते हैं। इसलिए कहते हैं कि जो हनुमान चालीसा का रोज़ पाठ करते हैं उन पर स्वयं हनुमान जी अपनी दृष्टि रखते हैं और उन्हें सारी परेशानियों से मुक्त कर देते हैं।
लेकिन जो रोज़ सौ बार हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं उनसे स्वयं हनुमान जी मिलने आते हैं। भक्त कवि तुलसीदास समेत हमें अनेकों ऐसे हनुमान भक्तों की जानकारी मिलती है जिनको हनुमान जी ने साक्षात आकर दर्शन दिए। तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा में इस बात का वर्णन भी किया है कि अगर आप दिन में सौ बार हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं तो आपसे मिले स्वयं हनुमान जी आएंगे। तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा में ये लिखा है कि “जो सत बार पाठ करि कोई, छूटहि बंदी महा सुख होई“। इस वाक्य में “सत” का अर्थ सवा नहीं सौ है। अर्थात जो भी हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा वो हर प्रकार के बंधन से छूटकर महासुख को प्राप्त करेगा। यहाँ “महासुख” का अर्थ धन वैभव या स्त्री से नहीं है। शास्त्रों में ईश्वर की प्राप्ति को महासुख कहा गया है। इसलिए इस वाक्य में “महासुख” का वास्तविक अर्थ है ईश्वर से मिलन। यानी जो भी हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा उसे स्वयं बजरंगबली दर्शन देंगे।
अगर आप पूरी हनुमान चालीसा पढ़ने में किसी भी प्रकार से असमर्थ हो तो आप “जय जय हनुमान कृपा करो गुरुदेव” वाक्य का भी सौ बार जाप कर सकते हैं। आएदिन अनेकों ऐसे हनुमान भक्तों की कहानियाँ सुनने को मिलती हैं जिनसे स्वयं हनुमान जी मिलने आए थे। क्योंकि हनुमान जी अपने भक्तों से वेश बदलकर मिलने आते हैं। इसलिए ज़्यादातर भक्त उन्हें पहचान ही नहीं पाते और बाद में उन्हें पछतावा होता है। इसलिए आप इस बात का हमेशा ध्यान रखिएगा कि आपसे हनुमान जी कहीं भी कभी भी किसी भी रूप में मिल सकते हैं।
हनुमान जी स्वयं श्री राम के भक्त हैं। अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति से मिलते हैं जो आपको श्री राम के प्रति प्रेरित करता है तो हो सकता है वो हनुमान जी ही हों। क्योंकि हनुमान जी स्वयं प्रभु राम के भक्त हैं। इसलिए वे एक भक्त की व्यथा को अच्छे से समझते हैं और अपने भक्त को दर्शन देते हैं।
कहते हैं कि हनुमान जी को बुलाना बड़ा ही आसान है। हनुमान भक्तों में ऐसी अनेकों मान्यताएँ प्रचलित हैं जिनके माध्यम से वे हनुमान जी को बड़े आसानी से आकर्षित कर लेते हैं। मात्र हनुमान चालीसा ही नहीं बल्कि हनुमान जी को राम कथा, राम लीला और श्री राम स्तुति के माध्यम से भी आकर्षित हो जाते हैं। एक प्रचलित मान्यता के अनुसार जहाँ भी भी श्री राम कथा का आयोजन होता है वहाँ साक्षात हनुमान जी कथा सुनने आते हैं। इसलिए हनुमान जी की भक्ति को राम जी की भक्ति के माध्यम से भी प्राप्त किया जा सकता है।
मथुरा आदि ब्रज के क्षेत्रों में श्री कृष्ण के नाम से पहले राधा जी का नाम लिया जाता है। मान्यता है कि कृष्ण राधा के नाम से ज़्यादा आकर्षित होते हैं और राधा नाम लेने वाले हर प्राणी का कष्ट हर लेते हैं। ठीक उसी प्रकार अगर श्री राम जी के साथ हनुमान जी की स्तुति की जाए तो ना सिर्फ हनुमान जी प्रसन्न होंगे बल्कि आपको साक्षात दर्शन भी देंगे। इसलिए हनुमान चालीसा के साथ साथ रामचरितमानस के पाठ को भी अतिशुभ्र माना जाता है तथा मंगलवार और शनिवार के दिन इनके पाठ को अत्यंत शुभ माना गया है।
मात्र चालीसा ही नहीं बल्कि सनातन धर्म के हर मंत्र में शक्ति है परंतु इसे आसानी से महसूस करना संभव नहीं क्योंकि इनके नियम भी होते है। मन को शांत और एकाग्र कर सारी सांसारिक वस्तुओं को भूलकर पूर्ण रूप से प्रभु का वंदन करना इतना आसान भी नहीं होता। प्राचीन युगों में ईश्वर की प्राप्ति है तो मुनियों और भक्तों को वर्षों लग जाते थे। कहा जाता है कलियुग में मात्र राम नाम के उच्चारण से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। अगर बात की जाए हनुमान चालीसा की तो इसके चार सौ बार पाठ करने से शुभफल मिलता है।
भले ही आज की आधुनिकता और कुछ क्षण के सुख में लोग धार्मिक बातों को नकारने लगते है लेकिन जीवन में कभी नकारात्मक शक्ति से सामना होने पर धर्म और ईश्वर की शक्ति सहज ही समझ में आ जाती है। ये बात तो हम अब जानते ही है कि हनुमान चालीसा को एक बार पढ़ने में एक से डेढ़ minute का समय लगता है। इस प्रकार चार सौ बार पढ़ने में लगभग छह सौ minute अर्थात दस घंटे का समय लगेगा। ये करना इतना भी आसान नहीं होता। इसे करना उतना ही कठिन है जितना ईश्वर को प्राप्त करना। परंतु इसका अर्थ ये नहीं है कि भक्त भक्ति का प्रयास ही ना करें। आप सच्चे मन से हनुमान जी की स्तुति करते रहे। एक ना एक दिन वो आपको दर्शन अवश्य देंगे।
कहते है देवताओं में भगवान शिव के बाद हनुमान जी ही ऐसे देवता है जो अपने भक्तों पर बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते है और इनकी सच्चे मन से की गयी स्तुति कभी बेकार नहीं जाती। अगर आप भी हनुमान जी के सच्चे भक्त है तो इस पोस्ट को शेयर ज़रूर कीजिएगा।
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